राजस्थान में 19 नए जिले बनेंगे, विधानसभा में CM गहलोत ने किया

राजस्थान में 19 नए जिले बनेंगे, विधानसभा में CM गहलोत ने किया

राजस्थान में 19 नए जिले बनेंगे, विधानसभा में CM गहलोत ने किया

डेली करेंट अफेयर्स 2023-: Current Affairs प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकार द्वारा वर्ष में कई परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है।राजस्थान में 19 नए जिले बनेंगे, विधानसभा में CM गहलोत ने किया  जिनमे रेलवे, बैंकिंग, पुलिस, आर्मी, आदि आते हैं इन सब परीक्षाओं की तैयारी के लिए हम हिंदी के सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तर, Daily Current Affairs 2023 in Hindi, Today Current Affairs in Hindi (टुडे करंट अफेयर्स इन हिंदी), करेंट अफेयर्स 2023 उपलब्ध करवा रहें हैं। लेख के माध्यम से 1 नवम्बर 2021-22 से सभी करेंट अफेयर्स उपलब्ध करवाए जा रहें हैं। हिंदी करेंट अफेयर्स के प्रश्न उत्तर लेख में दिए गए है, जिन्हे हर दिन अपडेट किया जाता है।

राजस्थान में 19 नए जिले बनेंगे, विधानसभा में CM गहलोत ने किया राजस्थान में शुक्रवार शाम को आंधी और बारिश के साथ ‘सियासी मौसम’ भी बदल गया। एक साथ 19 जिलों की घोषणा ने प्रदेश में सियासी तूफान ला दिया। हर किसी का सवाल था, क्या ये सच है? आजादी के बाद पहली बार एक साथ 19 नए जिलों की घोषणा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है।

चुनावी साल में गहलोत ने सरकार के पक्ष में माहौल बनाने के लिए जिस तरह से बजट को तीन बार भुनाने की कोशिश की, ये उनकी लंबी प्लानिंग का हिस्सा है। अगर कोई साधारण सा प्रश्न पूछे कि बजट कितनी बार पेश होता है? जवाब होगा एक बार, लेकिन गहलोत ने बजट को तीन बार अवसर में बदला। पहला जब बजट पेश किया गया। दूसरा, बजट रिप्लाई और तीसरा, वित्त और विनियोग विधेयक (एप्रोपिएशन बिल) के जवाब में। तीनों बार बड़ी घोषणाएं करके गहलोत ने सबको चौंका दिया। आमतौर पर बजट के दिन ही सरकार बड़ी घोषणाएं करती हैं, लेकिन इस बार राजस्थान में तीनों बार बड़ी घोषणाएं की गईं।

पिछले साल बजट में ओल्ड पेंशन की घोषणा जिस तरह अविश्वसनीय थी, इसी तरह इस बार 19 जिलों की घोषणा।

राजस्थान में 19 नए जिले बनेंगे, विधानसभा में CM गहलोत ने किया चुनावी साल में सभी सरकारें लोकलुभावन बजट पेश करती हैं, लेकिन इस बार बचत, राहत और बढ़त के साथ मन-भावन बजट की जो थीम गहलोत ने तैयार की थी, उसने विपक्ष को चुप कर दिया। विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं बचा है। हालांकि यह भी सच है कि बजट को धरातल पर उतारना इतना आसान नहीं है, क्योंकि बेहद कम समय बचा है।

आखिर गहलोत की इन घोषणाओं के क्या मायने है? इन सवालों के जवाबों से समझते हैं

      Topic Related Posts

 

         एक साथ 19 जिलों की घोषणा के मायने क्या है?

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले सवा चार साल के कार्यकाल को देखें तो उन्होंने हर बार बजट में चौंकाया है। आजादी के समय राजस्थान में 26 जिले थे, जो अब 33 हैं। नए जिलों की घोषणा करना सभी पार्टियां खतरा मानती हैं, लेकिन ये रिस्क गहलोत ने लिया है। उन्होंने 19 नए जिलों के जिस तरह से समीकरण बनाए। उससे कांग्रेस ‘गहलोत है तो मुमकिन है’ की तरह इसे पेश करेगी।
  • गहलोत ने राजनीतिक समर्थकों के साथ विरोधियों को भी साधा है। पार्टी जहां कमजोर है, वहां भी जिलों की घोषणा की गई है। ब्यावर में लंबे समय से कांग्रेस नहीं जीत रही है। भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत पैदल यात्रा निकाल चुके हैं। भाजपा राज में भले जिला नहीं बना, लेकिन गहलोत सरकार में जिला बनना कांग्रेस भुनाएगी।
  • पाली, जालोर और सिरोही में भी पार्टी बेहद कमजोर है। पाली को संभाग मुख्यालय बनाना और सांचौर को जिला बनाना भी इसकी ही कोशिश है।
  • फलोदी, बालोतरा को भी जिला बनाकर गहलोत ने जननायक की अपनी छवि को मजबूत करने की कोशिश है।
  • बजट पास होने वाले दिन जिलों की घोषणा से विपक्ष काे निरुत्तर कर दिया है। भाजपा के पास फिलहाल इसकी काट नहीं है।

चुनाव में आठ महीने का समय बचा है, क्या गहलोत राज में जिले बन जाएंगे? या कोई खतरा है?

कोई खतरा नहीं है। गहलोत ने बजट में इसके लिए 2000 करोड़ का प्रावधान किया है। ऐसे में जिले बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और कांग्रेस इसका क्रेडिट ले लेगी, हालांकि प्रशासनिक प्रक्रिया में समय लगता है।

क्या जिले बनने से राज्य की स्थिति बिगड़ेगी? क्या फायदा और नुकसान होगा?

 

जिले बनने से फायदे ज्यादा और नुकसान कम है। कई अवसर बनेंगे। राजस्थान की आबादी 7 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। पिछले 30 साल की बात करें तो आबादी दोगुनी हो गई है, लेकिन जिले केवल 7 ही बढ़े हैं। वर्ष 2008 के बाद से राज्य में कोई नया जिला नहीं बना, लेकिन बड़े जिलों में प्रशासन का सभी जगह समान फोकस नहीं हो पाता। नए जिलों से गुड गवर्नेस और फास्ट सर्विस डिलीवरी होती है। यह छोटे जिलों से ही संभव है। हालांकि विपक्ष नए जिलों की घोषणाओं से राजस्थान की आर्थिक स्थिति बिगड़ने का दावा करेगा।

क्या जिलों की घोषणा सरकार रिपीट करने की गारंटी है?

फिलहाल ये कह पाना मुश्किल है, क्योंकि चुनाव में कई फैक्टर काम करते हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने जिलों की घोषणा करके नाराज विधायकों को तो मना लिया, लेकिन जो जनता विधायकों से नाराज है, वो इस घोषणा से कितनी संतुष्ट होगी, ये फिलहाल कहा नहीं जा सकता।

​​​​​​क्या गहलोत के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा?

सबसे बड़ा सवाल यही है, लेकिन इसके लिए आपको शुक्रवार को एप्रोपिशन बिल से पहले सुबह भाजपा के मारियो गेम के काउंटर में आए वीडियो से समझना चाहिए। जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने इस गेम को प्रमोट किया, इससे लगता है कि पार्टी ने मारियो गेम की तरह विपक्ष को मारने का संकेत दे दिया है।

राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि अगर पार्टी को गहलोत का चेहरा आगे नहीं रखना होता तो इतना महत्व नहीं देता। अब उन्होंने जिस तरह सियासी पत्ते फेंके हैं, उसे खेलना हर किसी के बस का नहीं।

क्या बता रहे थे अशोक गहलोत के हाव-भाव?

सबसे पहले गहलोत की बॉडी लैंग्वेज की बात कर लेते हैं। याद कीजिए जब 10 फरवरी को अशोक गहलोत राज्य का बजट पढ़ रहे थे, तब शुरुआत में एक पुराना पन्ना जुड़ने से थोड़ी असहजता उनके चेहरे पर दिखाई दे गई थी। इसके बाद उनके फ्लो में उनके रोचक अंदाज का अभाव नजर आया था। बजट रिप्लाई और इसके बाद एप्रोपिएशन बिल के दौरान शुक्रवार को उनकी बॉडी लैंग्वेज में अलग कॉन्फिडेंस नजर आ रहा था।

गहलोत ने अपने इस बड़े मूव से आलाकमान को क्या मैसेज दिया?

कांग्रेस आलाकमान को राजस्थान में विरोधी पार्टी से ज्यादा अपने ही लोगों ने चिंता में डाल रखा है। अशोक गहलोत ने बजट रिप्लाई से तगड़ा मैसेज कांग्रेस आलाकमान को दिया है। उन्होंने एक बार फिर बताया है कि सभी को साथ लेकर चलने की कला क्या होती है। उन्होंने एंटी इंकमबेंसी को थामने का प्रयास भी किया है। गहलोत ने इस पॉलिटिकल मूव से विपक्ष को ही जवाब नहीं दिया है, बल्कि अपनी ही पार्टी में चल रही अंदरूनी राजनीति पर भी अंकुश लगाने का प्रयास किया है।

अब गहलोत के सामने बड़ी चुनौती क्या?

नाराजगी कैसे खत्म करेगी?

1. राजस्थान में 60 जिलों की मांग हो रही थी। ऐसे में जहां जिले नहीं घोषित किए गए है, वहां नाराजगी देखने को मिलेगी। कुछ विधायकों और जन प्रतिनिधियों ने कल ही इसकी चेतावनी दे दी है। ऐसे में देखना होगा सरकार कैसे इसे कंट्रोल करती है?

2. सरकार ने पिछले साल मोबाइल देने की घोषणा की थी, अब राखी पर देने की बात कही है। 40 लाख मोबाइल एक साथ देना कैसे संभव होगा? नहीं मिलने पर जनता में यह नाराजगी का कारण भी हो सकता है।

3. बजट पास हो चुका है। सरकार के पास बेहद कम समय बचा है। इस पूरे बजट को धरातल पर लाना बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि जिस तरह का सरकारी सिस्टम है, उससे योजनाओं को धरातल में आने में समय लगता है। विपक्ष इसको मुद्दा बनाएगा।

4. पार्टी में आपसी गुटबाजी चरम पर है। सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात थी, लेकिन अब क्या समीकरण बनाकर उन्हें संतुष्ट किया जाएगा, यह बड़ा सवाल होगा।

 

5. कांग्रेस का संगठन बेहद कमजोर है। बढ़ते क्राइम और कई मंत्री विधायकों की खराब परफॉर्मेंस से निपटना भी मुश्किल होगा।

Download pdf

Maths Topicwise Free PDF >Click Here To Download English Topicwise Free PDF >Click Here To Download
GK/GS/GA Topicwise Free PDF >Click Here To Download Reasoning Topicwise Free PDF >Click Here To Download
Indian Polity Free PDF >Click Here To Download History  Free PDF > Click Here To Download
Computer Topicwise Short Tricks >Click Here To Download EnvironmentTopicwise Free PDF > Click Here To Download
Hindi Topicwise Free PDF >Click Here To Download Science Notes Download > Click Here To Download

 

My BooksforUPSC will update many more new pdf and study materials and exam updates, keep Visiting and share our post, So more people will get this.

This PDF is not related to BooksforUPSC and if you have any objections over this pdf, you can mail us at [email protected] Support us By Joining the Below Groups And Like Our Pages We Will be very thankful to you.

 

Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *