
History Notes Class 12th (NCERT) in Hindi pdf
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Most Important Indian History Question
स्कृति शब्द का अर्थ :-
🔹 पुरातत्वविद ‘ संस्कृति ‘ शब्द का प्रयोग पुरावस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते हैं जो एक विशिष्ट शैली के होते हैं और सामान्यतया एक साथ , एक विशेष काल – खंड तथा भौगोलिक क्षेत्र से संबद्ध में पाए जाते हैं।
❇️ हड़प्पा सभ्यता / सिंधु घाटी सभ्यता :-
🔹 प्राचीन भारत की पहली सभ्यता हड़प्पा सभ्यता है । यह संस्कृति पहली बार हड़प्पा नामक स्थान पर खोजी गई थी इसलिए उसी के नाम पर इस संस्कृति का नाम रखा गया है। हड़प्पा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले की रावी नदी के बाएं तट पर स्थित है । लगभग 2600 और 1900 ईसा पूर्व के बीच इसका काल निर्धरण किया गया है। इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है ।
🔹 इस सभ्यता का विस्तार प्रारंभ में 12 लाख 99 हजार 600 वर्ग K.M निर्धारित किया गया था । जो अब 15 – 20 लाख वर्ग K.M के आस – पास संभावित है । सिंधु सभ्यता के लिए सुझाया गया नाम सिंधु सरस्वति संस्कृति एवं सिंधु सभ्यता का उपयुक्त नाम हडप्पा सभय्ता है।
🔹 सिंधु सभ्यता मे महादेवन एवं विश्वनाथ द्वारा किए गए शोध के आधार पर 2467 अभिलेख/ अभिलिखित सबूत मिले हैं । जिसकी संख्या अब 3000 के आसपास हो गई है ।
❇️ हड़प्पा संस्कृति काल / सिंधु घाटी सभ्यता :-
🔹 2600 से 1900 ईसा पूर्व
🔹 हड़प्पा संस्कृति के भाग / चरण :
( i ) आरंभिक हड़प्पा संस्कृति
( ii ) विकसित हड़प्पा संस्कृति
( iii ) परवर्ती हड़प्पा संस्कृति
🔹 B . C . ( Before Christ ) – ईसा पूर्व
🔹 A . D ( Ano Dominy ) – ईसा मसीह के जन्म वर्ष
🔹 B . P ( Before Present ) – आज से पहले
❇️ हड़प्पा सभ्यता की खोज :-
नोट :- हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921-22 में दया राम साहनी , रखालदास बनर्जी और सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में हुई।
1856 में जब कराची और लाहौर के बीच पहली बार रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा था तो उत्खनन कार्य के दौरान अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला। यह स्थान आधुनिक समय में पाकिस्तान में है। उन कर्मचारियों ने इसे खंडहर समझ लिया और यहां की हजारों ईंट उखाड़ कर यहां से ले गए और ईंटों का इस्तेमाल रेलवे लाइन बिछाने में किया गया लेकिन वह यह नहीं जान सके की यहां कोई सभ्यता थी।
🔹 उस समय जॉन व्रटन और विलियम व्रटन दोनो ने एक महत्वपूर्ण सभ्यता होने का संकेत दिया लेकिन फिर भी कोई उत्खनन नही किया गया।
🔹 1920 – 21 में माधोस्वरूप वत्स व दयाराम साहनी के द्वारा पहली बार हड़प्पा का उत्खनन किया गया।
🔹 1922 में रखाल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक स्थान का उत्खनन किया जो पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाएं तट पर स्थित है। रखाल दास बनर्जी इस टीले के ऊपर स्थित कुषाण युगीन , बौद्ध स्तुप का उत्खनन कर रहे थे।
नोट :- मोहनजोदडो का शाब्दिक अर्थ :-i ) मृतको का टीला ii ) मुर्दो का टीला iii ) प्रेतो का टीला iv ) सिंध का बाग v ) सिंध ना नक्लस्थान।
🔹 इन दोनों उत्खनन के बाद सन् 1924 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल सर जॉन मार्शल ने पूरे विश्व के सामने एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की। सर जॉन मार्शल ने लंदन वीकली नामक पत्रिका में इसे सिंधु सभ्यता नाम दिया।
❇️ हड़प्पा सभ्यता को सिन्धुघाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है ? :-
🔹 इस सभ्यता को सिन्धुघाटी सभ्यता इसलिए कहा जाता है क्योकि यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी के आसपास फैली हुई थी । यह इलाका उपजाऊ था , हड़प्यावासी यहाँ पर खेती किया करते थे।
❇️ सिंधु सभ्यता की लिपि :-
🔹 सिंधु लिपि को पढ़ने का प्रथम प्रयास 1925 में वेंडेल ने तथा नवीतम प्रयास नटवर झा , घनपत सिंह धान्या , राजाराम ने की थी । लेकिन अभी तक भी सिंधु लिपि को प्रमाणित रूप से पढ़ा नही जा सकता है ।
🔹 लिपि के सबसे ज्यादा अक्षर मोहनजोदड़ो से तथा दूसरे नंबर पर हड़प्पा से मिले हैं । लिपि के सबसे बड़े अक्षर धोलावीरा से मिले हैं । जिन्हें Notice Board का प्रतीक माना गया है ।
🔹 सिंधु लिपि भावचित्रात्मक है । अर्थात चित्रो के माध्यम से भावो को अभिव्यक्त करना । सिंधु लिपि दोनो ओर से लिखी जाती है इसलिए इसे बुस्ट्रोफेदेन कहा गया है ।
🔹 सिंधु सभ्यता के विभिन्न पक्षो को जानने की दृष्टि से विशेष उलेखनीय है : सेलखड़ी प्रस्तर एवं पक्की मिट्टी से निर्मित विभिन्न आकर और प्रकार की मोहरे जिनमे आयताकार और वर्गाकार प्रमुख हैं ।
🔹 आयताकार पर केवल लेख मिलते है जबकि वर्गाकार पर लेख और चित्र दोनो मिलते है । मेसोपोटामिया की 5 बेलनाकार मोहरे मोहनजोदड़ो से मिली है तथा फारस की बनी हुई संगमरमर की मोहरे लोथल से मिली है ।
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Most Important Indian History Question
❇️ सिंधु सभ्यता के निर्माता :-
🔹 सिंधु सभ्यता के अंतर्गत उत्खनन में मुख्य 4 प्रकार के अस्ति पंजर मिले हैं
( 1 ) प्रोटो – आस्ट्रोलॉयड
( 2 ) भूमध्य सागरीय
( 3 ) अल्पाइन
( 4 ) मंगोलियन
🔹 इसके आधार पर यह सम्भावना स्वीकार की गई है । इसके निर्माण मे मित्रित प्रजातियों के लोगों का स्थान था वैसे तो इनका संस्थापक द्रविडा को माना गया है। जो बाद में दक्षिण भारत में पलायन कर गये ।
❇️ सिंधु सभ्यता की प्रमुख विशेषता :-
🔹कास्य युगीन सभ्यता थी ।
🔹 भारतीय इतिहास में प्रथम नगरीय क्रंति का प्रतीक जिसकी पुष्टि उत्खनन से प्राप्त कई महत्वपूर्ण नगरो के अवशेषो से होती है ।
🔹 व्यापार व वाणिज्य गतिविधियों में महत्व ।
🔹 जीवन के प्रति शांतिवादी दृष्टिकोण ( उत्खनन में न तो हथियार , औजार न ही रक्षात्मक हथियार जैसे ढाल , कवच आदि । )
🔹 जीवन के प्रति समिष्टवादी दृष्टिकोण ( इसकी पुष्टि मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार , धोलावीरा एवं जूनीकरण से प्राप्त स्टेडियम , जूनिकरण एव मोहनजोदड़ो से प्राप्त सभा भवन )
🔹 सैन्धव वासी लोग लोहे से परिचित नही थे उलेखनीय है कि लोहे का प्रचीनतम साक्ष्य/सबूत उत्तर प्रदेश के ऐटा जिला अतरंजीखेड़ा से मिला है । जिसका समय 1050 ई० पु० के आस – पास स्वीकार किया गया है ।
🔹 सिंधु वासी लोग पीतल से भी परिचित नही थे ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के प्रमुख स्रोत :-
( i ) आवास
( ii ) मृदभांड
( iii ) आभूषण
( iv ) औजार और
( v ) मुहरें
( vi ) इमारतें और खुदाई से मिले सिक्के ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल :-
🔹 हड़प्पा सभ्यता के कुछ स्थल वर्तमान में पाकिस्तान में है और बाकी स्थल भारत में है :-
नागेश्वर ( गुजरात )
बालाकोट ( पाकिस्तान )
चन्हुदड़ो ( पाकिस्तान )
कोटदीजी ( पाकिस्तान )
धौलावीरा ( गुजरात )
लोथल ( गुजरात )
कालीबंगन ( राजस्थान )
बनावली ( हरियाणा )
राखीगढ़ी ( हरियाणा )
❇️ हड़प्पा सभ्यता में नगर नियोजन तथा वास्तुकला ❇️
( 1 ) नगर योजना
( 2 ) भवन निर्माण
( 3 ) सार्वजनिक भवन
( 4 ) विशाल स्नानघर
( 5 ) अन्न भंडार
( 6 ) जल निकास प्रणाली
❇️ हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना ( बस्तियाँ ) :-
🔹 हड़प्पा सभ्यता की बस्तियाँ दो भागों में विभाजित थी
( i ) दुर्ग :- ये कच्ची इंटों की चबूतरे पर बनी होती थी | दुर्ग को दीवारों से घेरा गया था | दुर्ग पर बनी संरचनाओं का प्रयोग संभवत : विशिष्ट सार्वजानिक प्रयोग के लिए किया जाता था ।
( ii ) निचला शहर :- निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है । निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था । इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था जो नींव का कार्य करते थे ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता की सडकों और गलियों की विशेषताएँ :-
🔹 समकोण पर एक – दूसरे को काटती हुई सीधी सड़के जिसके कारण पूरा नगर क्षेत्र विभिन्न आयातकार एव खण्डों मे विभक्त हो गया है । जिसे जाल पद्धति , ऑक्सफोर्ट पद्धति , चैस बोर्ड पद्धति कहते हैं ।
🔹 सड़को का निर्माण मिट्टी से किया जाता था ।
नोट :- बनावली में सड़कों पर गाड़ी के पहियो के निशान मिले हैं ।एवं सड़क को पक्की करने के प्रयास के भी साक्ष्य कालीबंगा से मिले हैं ।
🔹 सड़क के किनारे – किनारे पानी निकासी के लिए नालियाँ बनी होती थी / नालियो को ढकने की व्यवस्या होती थी । नालियो को फर्श से ढका जाता था । नालियो मे थोड़ी दूर पर शोषक कूप होता या जिनमे गंदगी रुकती थी । पक्की ईटो का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा मे किया जाता था ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता में भवन निर्माण :-
🔹 हड़प्पा सभ्यता में माकानो की योजना आगन पर आधारित थी । जिसमें शौचालय , स्नानागार , रसोईघर , सयनकक्ष आदि के अतरिक्त अन्य कमरे भी मिले है ।
🔹 मजबूती के लिये नीव नर्माण की जाती थी । सड़को के किनारे माकान बने थे जिनसे सुविधा हवा , सफाई , प्रकाश की पूर्ण व्यवस्या होती थी ।
🔹 मकान जमीन से ऊँचाई पर बनाये जाते थे । मकानों के दरवाजे सड़को की ओर खुले रहते थे । मकानों के प्रवेश द्वार मुख्य मार्ग की आपेक्षा गली की ओर खुले थे । जिसके कारण बाहरी हलचल , शोरगुल एवं प्रदूषण से सुरक्षित रह होगा ।
🔹 सड़को के किनारे – किनारे पानी की निकासी के लिए नालियाँ बनी होती थी । नालियो को ढकने की व्यवस्था होती थी ।
🔹 नालियो को फर्श से ढखा जाता था। नालियो में थोड़ी – थोड़ी दूर पर शोषक कूप लगे रहते थे । जिनमें गंदगी रुकी रहती थी । पक्की ईटो का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता था ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता में सार्वजनिक भवन :-
🔹 सिंधु घाटी सभ्यता को दो भागों में विभाजित किया गया । जिसके ऊपरी हिस्से में सार्वजनिक भवन व निचले हिस्से में व्यक्तिगत आवास बने हुए थे ।
🔹 उत्खनन में सावर्जनिक या राज्यकीय भवनों के अवशेष मिले हैं । एक अवशेष मोहनजोदड़ो से मिला है । जो 70 मीटर लम्बा और 24 मीटर चौडा है । यह इस्मार्क उस काल की संपन्नता का परिच्यक है । यहाँ पर ही 71 मीटर लंबा व इतना ही चौड़ा एक वर्गाकार कक्ष का अवशेष प्राप्त हुआ है । जिसमे 20 सतम्भ है ।
🔹 एक अनुमान के अनुसार इस भवन का उपयोग आपसी विचार विमर्श धार्मिक आयोजन , सामाजिक आयोजन के लिए किया जाता होगा ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता में विशाल स्नानागार :-
🔹 स्नानागार का जलाशय किले में स्थित था । 11.88 मीटर लंबा 7.01 मीटर चौड़ा 2.43 मीटर गेहरा इसके तल पर सीढ़िया बनी हुई है । यह सीडिया पक्की ईटो से बनाई गई है
🔹 स्नान कुड़ के चारो और कमरे बने हुए है और बराऊनदे भी बनाये गए है । स्नान कुंड के कमरे के समीप एक कुआ बना हुआ है । जिससे पानी कुंड में आता था और कुंड के गन्दे पानी की निकासी एक अन्य दरवाजे ( द्वार ) से की जाती थी । गंदा पानी फिर बड़ी नालियो के माध्यम से शहर से बाहर निकल जाता ।
🔹 स्नानागार की दीवारों के निर्माण में सीलन से बचने के लिए डावर या तारकोल का प्रयोग किया जाता था । पूरे स्नानागार में 6 प्रवेश द्वार होते थे । स्नानागार में गर्म पानी की व्यवस्था भी होती थी ।
नोट :- इस स्नानागार के बारेे में अमेस्ट मैके कहते हैं कि यह स्नानागार प्रोहित के स्नान के लिये होता था ।
❇️ अन्न भण्डार :-
🔹 हड़प्पा नगर के उत्खनन में यहाँ के किले के राजमार्ग मे 6-6 पक्तियो वाले अन्न भण्डार मिले है । अन्न भण्डार की लंबाई 18 मीटर चौड़ाई + 7 मीटर लम्बाई ( 18 x 7 ) इसका मुख्य द्वार नदी की और खुलता या क्योकि जो भी सामान जल मार्ग से आता था आन्न भण्डार मे एकत्रित किया जाता था ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता में जल निकास प्रणाली :-
🔹 हड़प्पा संस्कृति नगरीय थी । इन लोगो का जीवन स्तर उच्च था । घरो का गंदा पानी सड़को के किनारे बनी हुई नालियो से लेकर शहर के बाहर हो जाता था । इन नालियो में पक्की ईटो का प्रयोग किया जाता था । इनका पिलास्टर किया जाता था । जिससे नालियो को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए पिलास्टर के लिए चुना , मिट्टी , जिप्सम का प्रयोग किया जाता था ।
नोट :- प्रोफेसर रामचरण शर्मा की मान्यता है कि कंश युग की किसी भी दूसरी सभ्यता ने सफाई व स्वास्थ को इतना महत्व नही दिया जितना हडप्पा देश के वासियो ने दिया ।
नोट :- बहुतायत सेे पक्की ईटो का प्रयोग मुख्य रूप से चार प्रकार की ईटे प्रयुक्त की जाती थी ।
👉 1️⃣ आयताकार = 4:2:1
👉 2️⃣ L एल प्रकार की ईटे = इन ईटो का प्रयोग कोने में किया जाता था ।
👉 3️⃣ नोकदार ईटे = इनका प्रयोग कुओ में किया जाता है ।
👉 4️⃣ T टी प्रकार की ईटो = इनका प्रयोग सीढ़ियों में किया जाता था ।
🔹 अलकृत ईटो से निर्मित फर्श कालीबंगा से मिला है ।
🔹 ईटो पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे का निशान मिला है । यह चन्हूदड़ों सभ्यता से मिला है ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक जीवन ❇️
सामाजिक संगठन
भोजन
वस्त्र
आभूषण व सौंदर्य प्रर्दशन
मनोरजन
प्रौद्योगिकी
मृतक कर्म
चिकित्सा विज्ञान
❇️ हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक सगठन :-
🔹इतिहासकार गार्नर चाइल्ड ने समाज को चार भागों में विभाजित किया है :-
👉1️⃣ शिक्षित वर्ग :- प्रोहित , चिकित्सा , जादूगर , जोतिस
👉2️⃣ योद्धा / सैनिक :- इनकी पुष्टि दुर्गों में उपस्थिति के अवशेषों से मिले है ।
👉3️⃣व्यपारि व दस्तक्षार :- बुनकर , कुमार , सुवर्णकर
👉4️⃣श्रमिक एवं कृषक :- टोकरी बनाने वाले , मछली मारने वाले
❇️ हड़प्पा सभ्यता में भोजन :-
🔹 गेहूँ , चावल , जौ , तेल , मटर , सब्जियां वह मासाहारी भी थे । कछुआ , गड़ियाल , भेड़ , बकरी , सुअर व मछली का माँस इत्यादि खाते थे ।
🔹 इस काल मे चित्रो में खजूर , अनार , तरबूज , नींबू , नारियल आदि के फलों का चित्रण किया जाता था । वह इन फ़लो का उपयोग भोजन के रूप में करते थे
🔹 इस प्रकार हड़प्पा वासी माँसाहारी व शाकाहारी दोनों ही थे ।
❇️ हड़प्पा सभ्यता में वस्त्र :-
🔹 वह भिन्नन – भिन्नन ऋतुओ में अलग – अलग वस्त्र पहनते थे । महिला और पुरुष के वस्त्रों में भिन्नता पाई जाती थी ।
🔹 पुरुषो में धोती , पगड़ी , दशाले ( कुर्ता ) , एव महिलाओं में घागरा में साड़ी पहनती थी ।
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